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    आपके द्वारा सम्मानित

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    डा. मनमोहन सिंह
    प्रधानमंत्री

    ' जब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने 1956 में जीवन बीमा राष्ट्रीयकरण किया था तो उनका सपना था कि देश की उन्नति में जीवन बीमा निगम का एक बहुत ब ड़ा हिस्सा होगा। अगर आगे बढ़ना है तो उसके लिये बहुत .जरूरी है कि बचत बढ़े, निवेश बढ़े और इस राशि को सही तौर पर देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की ओर लगाया जाये। इस सिलसिले में जीवन बीमा निगम का बहुत ब ड़ा योगदान है।

    १९५६ से अबतक एल.आई.सी. ने काफी तरक्की की है। लेकिन अब नया जमाना आ गया है। कंम्पिटीशन का जमाना है, ग्लोबलाईजेशन का जमाना है। हमारी जो पब्लिक सेक्टर इकाईयाँ हैं उन्हें इस मुकाबले में कामयाब होना होगा। पचास साल काफी अरसा होता है। एल.आई.सी. के बहुत से गुण हैं और उन्हें देखते हुए मुझे पूरा विश्र्वास है कि एल आई सी पहले की तरह आगे बढ़ती रहेगी।

    'एल आई सी की मैनेजमेंट, कार्यकर्ता और सभी लोग जो इस से वाबस्ता हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि आपने पिछले 50 सालों में देश की काफी अच्छी सेवा की है। इसलिये आप सभी मुबारकबाद के पात्र हैं। लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। मेरी प्रार्थना है कि अगले 50 सालों में एल आई सी बहुत तेजी से आगे बढ़े, फले-फूले और भारत की जनता के विकास के लिये संसाधन जुटाने में इसका पहले से कहीं ज्यादा योगदान हो।

    ' एल.आई.सी. की ५० वीँ सालगिरह पर मैं तमाम वर्कर्स को , मैनेजमेंट को बधाई देता हूँ। लेकिन साथ ही साथ मैं कहूँगा कि अभी सोने का समय नहीं है, आगे ब ढ़ने का समय है। आओ सब मिलकर एक नये भारत का निर्माण करने के लिये कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें। '

    डा. मनमोहन सिंह
    प्रधानमंत्री
     

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    श्री पी. चिदंबरम
    कंद्रीय वित्तमंत्री

    वर्ष 1956 में 245 भारतीय और विदेशी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था और आज तीन अक्षर यएलआईसी' देश के आर्थिक ढांचे को सुदृ ढ़ बनाने के मामले में बीमा का, सेवा का, उत्कृष्टता का पर्याय बन गये हैं. मैं तो कहूंगा कि तीन अक्षरों से मिलकर दूसरा कोई भी नाम देश भर में उतना जाना-पहचाना नहीं है जितना जाना-पहचाना एलआईसी है.'';

    एलआईसी के कामकाज संबंधी आंकडे इस बात के संकेत हैं कि एलआईसी हमें इतना प्यारा क्यों हैं, वह हमारे ताज का नगीना क्यों है और क्यों हम एलआईसी को पाल-पोस कर भारतीय जनता की सेवा करने वाले महान संस्थान के रूप में विकसित करेंगे.''

    एलआईसी के कदमों के निशान अब दुनिया भर के कई देशों में दखने को मिलेंगे. जहां कहीं भी भारतीय जाते हैं-- और वे इन दिनों हर जगह जाते हैं, जहां कहीं भी भारतीयों का स्वागत किया जाता है-- और उनका दुनिया के हर हिस्से में स्वागत होता है ,जहां कहीं भी भारतीय बसते हैं--और उन्होंने बहुत से नये घर तलाश लिये हैं, और जहां कहीं भी वह सफलता प्राप्त करते हैं--और वे जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं...वहां उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए, अपनी बचत की देखभाल के लिए और सेवा निवृत्ति पर अपनी सुरक्षा के लिए एलआईसी की जरूरत प ड़ती है.

    श्री पी चिदंबरम
    केंद्रीय वित्त मंत्री

    सितंबर 1, 2005 के लखनऊ में आयोजित एलआईसी के स्वर्ण महोत्सव के उद्घाटन के अवसर
    पर दिये भाषण के मुख्य अंश