फ़ॉर्च्यून प्लस
विशेषताएँ
परिचय:
यह एक यूनिट संबद्ध बीमा योजना है, जिसमें प्रीमियम भ्रुगतान की अवधि (पीपीटी) 5 वर्ष है और पहले वर्ष में देय प्रीमियम पॉलिसी के अंतर्गत देय कुल प्रीमियम का 50% होगा. बीमा का स्तर उस प्रीमियम के स्तर पर निर्भर करेगा, जो आप देना चाहें.
चार प्रकार की निवेश निधियां पेश की जा रही हैं। आवंटन शुल्क के बाद, दिये गये प्रीमियम, चुने गये प्रकार की निधि के यूनिट खरीदेंगे. यूनिट निधि से विभिन्न प्रकार लिये जायेंगे और शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) के आधार पर यूनिटों का मूल्य बढ़ या घट सकता है. इस प्रकार यह योजना बीमा-एवं-निवेश का उद्देश्य पूरा करती है.
1. प्रीमियमों का भुगतान :
आप पांच वर्ष तक का प्रीमियम का भुगतान वार्षिक, अर्ध-वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक ( ईसीएस) अंतरालों पर कर सकते हैं। पहले वर्ष का न्यूनतम प्रीमियम रु. 20,000 होगा और आप इससे अधिक राशि का भुगतान कर सकते हैं. दूसरे वर्ष से हर वर्ष का प्रीमियम पहले वर्ष के प्रीमियम का 25 % होगा.
अन्य विशेषताएं :
1) आंशिक निकासी : आप पॉलिसी की तीसरी वर्षगांठ के बाद, निम्नलिखित शर्तों के अधीन, यूनिटों को आंशिक रुप से भुना सकते हैं:
1) अवयस्कों के मामले में, आंशिक निकासी की अनुमति पॉलिसी की उस वर्षगांठ से दी जायेगी, जो उस तिथि को या उसके तत्काल बाद पड़े, जिस दिनांक को बीमित व्यक्ति वयस्कता प्राप्त करे (अर्थात 18वें जन्मदिन को या उसके बाद).
2) आंशिक निकासी नियत राशि के रुप में या यूनिटों की नियत संख्या के रूप में हो सकती है.
3) निकासी की दिनांक से 2 वर्ष की अवधि तक, मूल योजना के अंतर्गत बीमा राशि उतनी कम कर दी जायेगी,जितनी आंशिक निकासी की राशि हो।4) प्रीमियम भुगतान की सीमित अवधि वाली पॉलिसियों के तहत जिन पॉलिसियों के लिये तीन वर्षों से कम के प्रीमियमों का भुगतान किया गया हो और बाद के प्रीमियम अदा न किये गये हों, उनके अंतर्गत आंशिक निकासी की अनुमति नहीं दी जायेगी.
5) प्रीमियम भुगतान की सीमित अवधि वाली जिन पॉलिसियों के लिए कम से कम 3 वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान कर दिया गया हो, उनके अंतर्गत आंशिक निकासी की अनुमति इस शर्त पर दी जायेगी कि पॉलिसीधारक का निधि मूल्य न्यूनतम रु. 10,000 हो.
2.परिवर्तन:
आप पॉलिसी की अवधि के दौरान परिवर्तन शुल्क देकर, यदि कोई हों, पूरे निधि मूल्य के लिये किसी भी प्रकार की निधि के बीच परिवर्तन कर सकते हैं
3.प्रीमियम को बंद कर देना : यदि प्रीमियम का वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, त्रैमासिक या मासिक (ईसीएस) भुगतान किया जाना है और पॉलिसी के अंतर्गत अनुकंपा अवधि के भीतर उनका विधिवत भुगतान न किया जाये, तो पॉलिसी निरस्त हो जायेगी. किसी निरस्त पॉलिसी को पहले भुगतान ना की गयी प्रीमियम की देय तिथि से दो वर्ष की अवधि के भीतर पुनर्जीवित किया जा सकता है.
1) यदि कम-से-कम 3 वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान कर दिया गया हो, तो पुनर्जीवन अवधि के दौरान जीवन बीमा और दुर्घटना लाभ और गंभीर बीमारी लाभ राइडर, यदि कोई हो, जारी रहेंगे. इस अवधि के दौरान, जीवितता और दुर्घटना लाभ और/या गंभीर बीमारी लाभ सुरक्षा के लिये शुल्क, यदि कोई हों, अन्य शुल्कों के अतिरिक्त, पॉलिसीधारक के निधि मूल्य से यूनिटों की उपयुक्त संख्या रद्द करके हर महीने ले लिये जायेंगे. यह संबद्ध जोखिम की सुरक्षा उपलब्ध कराता रहेगा :
1. पहले भुगतान ना किये गये प्रीमियम की देय तिथि से दो वर्ष तक, या
2. परिपक्वता की तिथि तक, या
3. उस अवधि तक, जब पॉलिसीधारक का निधि मूल्य घटकर रु. 5000 रह जाये, जो भी पहले हो.
इस अवधि के दौरान विभिन्न परिस्थितियों में पॉलिसी के अंतर्गत देय लाभ निम्नानुनुसार होंगे :
क. मृत्यु की स्थिति में: आधार तालिका के अंतर्गत बीमित रकम या पॉलिसीधारक का निधि मूल्य, जो भी अधिक हो। बीमित रकम आंशिक निकासी के प्रावधानों के अधीन होगी, यदि कोई किये गये हों.
ख. दुर्घटनावश मृत्यु की स्थिति में : उपर्युक्त ‘क’ के अंतर्गत राशि के अतिरिक्त दुर्घटना लाभ बीमित रकम, यदि दुर्घटना लाभ का विकल्प लिया गया हो.
ग. गंभीर बीमारी के दावे की स्थिति में : गंभीर बीमारी राइडर बीमित रकम, यदि विकल्प लिया गया हो
घ. परिपक्वता पर : पॉलिसीधारक का निधि मूल्य
ड. समर्पण की स्थिति में (अनिवार्य समर्पण सहित) : पॉलिसीधारक का निधि मूल्य. परंतु, समर्पण मूल्य का भुगतान पॉलिसी के तीन वर्ष पूरे हो जाने के बाद ही किया जायेगा.
च. आंशिक निकासी की स्थिति में : निकासी की दिनांक दो वर्ष की अवधि तक, मूल योजना के अंतर्गत बीमित रकम उतनी कम कर दी जायेगी, जितनी आंशिक निकासी की राशि हो.
2) यदि कम-से-कम 3 वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान किये बिना पॉलिसी निरस्त हो जाये, तो जीवन बीमा, दुर्घटना लाभ और/या गंभीर बीमारी लाभ राइडर सुरक्षा, यदि कोई हो, समाप्त हो जायेगी और इन लाभों के लिये कोई शुल्क नहीं काटे जायेंगे, किंतु अन्य सभी शुल्कों की कटौती जारी रहेगी. ऐसी निरस्त पॉलिसी के अंतर्गत लाभ निम्नानुसार देय होंगे :
छ. मृत्यु की स्थिति में :पॉलिसीधारक का निधि मूल्य.
ज. दुर्घटना के कारण मृत्यु की स्थिति में : केवल उपर्युक्त ‘’छ’’ के अंतर्गत राशि।
झ. गंभीर बीमारी के दावे की स्थिति में : कुछ नहीं।
ञ. समर्पण की स्थिति में (अनिवार्य समर्पण सहित) :
पॉलिसी की तीसरी वर्षगांठ पूरी हो जाने के बाद, यथास्थिति, पॉलिसीधारक का निधि मूल्य/ मौद्रिक मूल्य देय होगा. पॉलिसी के शुरु होने की तिथि से 3 वर्ष के भीतर कोई राशि देय नहीं होगी. ट. आंशिक निकासी की स्थिति में :
ऐसी पॉलिसी के अंतर्गत 3 वर्ष की अवधि पूरी हो जाने के बाद भी आंशिक निकासी की अनुमति नहीं दी जायेगी
4) पुनर्जीवीकरण :
यदि देय प्रीमियम का भुगतान अनुकंपा अवधि के भीतर न किया जाए, तो पॉलिसी निरस्त हो जाती है. निरस्त पॉलिसी को पहली भुगतान ना की गयी प्रीमियम की दिनांक से दो वर्ष की अवधि के दौरान या परिपक्वता से पूर्व, जो भी पहले हो,पुनर्जीवित किया जा सकता है. जिस अवधि के दौरान पॉलिसी का पुनर्जीवीकरण किया जा सकता है, उसे ‘’पुनर्जीवीकरण अवधि’’ कहा जायेगा.
यदि कम से कम 3 वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान न किया गया हो, तो पहली भुगतान ना की गयी प्रीमियम की देय तिथि से दो वर्ष के भीतर पॉलिसी को पुनर्जीवित किया जा सकता है.पुनर्जीवीकरण के लिये निगम की संतुष्टि के लिये बीमा जारी रखने की योग्यता का प्रमाण प्रस्तुत करने के साथ प्रीमियम की सारी बकाया राशि का भुगतान ब्याज समेत करना होगा.
यदि कम से कम तीन पूरे वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान कर दिया गया हो और परवर्ती प्रीमियमों का भुगतान न किया गया हो, तो पहली भुगतान ना की गयी प्रीमियम की देय तिथि से दो वर्ष के भीतर, किंतु परिपक्वता की तिथि से पूर्व, पॉलिसी को पुनर्जीवित किया जा सकता है. बीमा जारी रखने के प्रमाण की ज़रूरत नहीं होगी, लेकिन प्रीमियम की सारी बकाया राशि का भुगतान ब्याज समेत करना होगा.
निगम ने स्वयं अपनी शर्तों पर पुनर्जीवीकरण को स्वीकार करने या किसी निरस्त पॉलिसी के पुनर्जीवीकरण से इंकार कर देने का अधिकार सुरक्षित रखा है। किसी निरस्त पॉलिसी का पुनर्जीवीकरण तभी प्रभावी होगा, जब वह निगम द्वारा अनुमोदित हो जाये और प्रस्तावक/ बीमित व्यक्ति को स्पष्ट तौर पर लिखित रूप से सूचित कर दिया जायेगा.
ऊपर वर्णित विवरण के अलावा, यदि 3 से कम वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान किया गया हो और पॉलिसीधारक का निधि मूल्य शुल्कों की वसूली के लिए पर्याप्त न हो, तो पॉलिसी समाप्त कर दी जायेगी और उसके बाद पुनर्जीवीकरण पर विचार नहीं किया जायेगा. यदि 3 या उससे अधिक वर्षों के प्रीमियमों का भुगतान कर दिया गया हो और पॉलिसीधारक का निधि मूल्य घटकर रु. 5000 रह जाये, तो पॉलिसी समाप्त हो जायेगी और उस दिनांक को पॉलिसीधारक का निधि मूल्य बीमित व्यक्ति को लौटा दिया जायेगा और उसके बाद पुनर्जीवीकरण की अनुमति नहीं दी जायेगी.
5) निपटान का विकल्प : जब पॉलिसी परिपक्व होने वाली हो, तब आप ‘’निपटान का विकल्प’’ दे सकते हैं और पॉलिसी की रकम किश्तों में ले सकते हैं, जो परिपक्वता की तिथि से अधिकतम पांच वर्षों की अवधि में विस्तृत होगी. इस अवधि के दौरान कोई जीवन बीमा नहीं होगा. निर्धारित दिनांक को देय किश्त का मूल्य निवेश जोखिम के अधीन होगा, अर्थात् निधि के प्रदर्शन के आधार पर एनएवी घट या बढ़ सकता है.
पुन:स्थापन :
एक बार समर्पित की गई पॉलिसी को पुन: स्थापित नहीं किया जा सकता .
जोखिम पॉलिसीधारक द्वारा वहन किये जाते हैं :
1. एलआईसी की प्रॉफिट प्लस एक यूनिट से जुड़ा जीवन बीमा उत्पाद है, जो पारंपारिक बीमा उत्पादों से भिन्न और जोखिम के तत्त्वों के अधीन है.
2. यूनिट संबंद्ध जीवन बीमा पॉलिसियों में दिया गया प्रीमियम पूंजी बाजार के साथ जुड़े हुए निवेश जोखिमों के अधीन होता है और निधि के प्रदर्शन और पूंजी बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों के आधार पर यूनिटों का एनएवी घट या बढ़ सकता है और अपने निर्णय के लिए बीमित व्यक्ति स्वयं उत्तरदायी होता है.
3. भारतीय जीवन बीमा निगम केवल बीमा कंपनी का नाम है और एलआईसी की प्रॉफिट प्लस केवल यूनिट संबद्ध बीमा अनुबंध का नाम है और यह किसी भी प्रकार से संविदा की गुणता, उसकी भावी संभावनाओं या प्रतिफलों का द्योतक नहीं है.
4. कृपया संबंधित जोखिमों तथा लागू होने वाले प्रभारों के बारे में जानकारी अपने बीमा अभिकर्ता या बीमाकर्ता के पॉलिसी प्रलेख से प्राप्त कर लें.
5. इस अनुबंध के अंतर्गत प्रस्तुत विभिन्न निधिया केवल निधियों के नाम हैं और किसी भी प्रकार से इन तालिकाओं की गुणता, भविष्य की संभावनाओं तथा प्रतिफलों का द्योतक नहीं हैं.
6. पॉलिसी के अंतर्गत सभी लाभ कर नियमों और अन्य वित्तीय विधानों के भी अधीन हैं, जो समय-समय पर लागू हो. पॉलिसी के अंतर्गत सभी हितलाभ कर नियमों और अन्य वित्तीय विधानों के भी अधीन हैं जो समय-समय पर लागू हों.
कूलिंग ऑफ अवधि :
यदि आप पॉलिसी के ‘’नियमों तथा शर्तों’’ से संतुष्ट न हों, तो आप 15 दिन के भीतर पॉलिसी हमें लौटा सकते हैं.
कर्ज़:
इस योजना के अंतर्गत कोई कर्ज़ उपलब्ध नहीं होगा.
कार्यप्रभार :
इस तालिका के अंतर्गत कार्यप्रभार की अनुमति होगी.
निवारण :
कोई भी राशि इसे बढ़ा सकती है. दूसरे वर्ष और उसके बाद की प्रीमियम, पहले वर्ष की प्रीमियम का 25% होंगी.
यदि बीमित व्यक्ति एक वर्ष के भीतर किसी भी समय आत्महत्या कर ले, तो, सिवाय मृत्यु के समय पॉलिसीधारक के निधि मूल्य में पड़े यूनिटों के निधि मूल्य के, निगम पॉलिसी के आधार पर किसी दावे पर विचार नहीं करेगा.